Singrauli news: जहां चाह, वहां राह की कहावत को हकीकत में बदले रहे है परंपरागत आदिवासी चिकित्सक सुखदेव सिंह
सिंगरौली कार्यालय
सिंगरौली जिले के परंपरागत आदिवासी चिकित्सक सुखदेव सिंह जहां चाह वहां राह वाली कहावत को हकीकत में बदल रहे है। चितरंगी विकास खण्ड के ग्राम नौगई निवासी 65 वर्षीय चिकित्सक सुखदेव सिंह पिछले तीस साल से पारंपरिक तरीके से लोगों का इलाज भी कर रहे है। उनके गांव में ज़्यादातर गोंड जनजाति के आदिवासी निवास करते है जिनकी आबादी लगभग दो हजार की है।चिकित्सक सुखदेव सिंह ने बताया कि बचपन से ही बुजुर्गों से जड़ी-बूटियों और पारंपरिक इलाज का ज्ञान मिला। उन्होंने बताया कि इलाज तो करता था, लेकिन पहले न कोई रिकॉर्ड रखता था, न ही औषधियों को किसी व्यवस्थित तरीके से संभालता था। मुझे कभी लगा ही नहीं कि ये सब भी ज़रूरी हो सकते हैं। और अपने ज्ञान को व्यवस्थित रूप से संजोकर रखने तथा और प्रशिक्षण और जानकारी एकत्रित करना है।
उन्होंने कहा कि फिर एक दिन पिरामल फाऊंडेशन की टीम के द्वारा इलाज प्रक्रिया के बारे में जाना तथा हमारे दस्तावेजीकरण हर्बल गार्डन और जड़ी बूटियां के रखरखाव के संबंध में बात की। इसके बाद उन्होंने हमारा क्वालिटी काउंसिल आफ इंडिया के द्वारा किए जा रहे इलाज का प्रमाणीकरण भी कराया। शुरुआत में जब उन्होंने मुझसे कहा कि दवाइयों को सहेजकर रखना और मरीजों का विवरण दर्ज करना ज़रूरी है, तो ये सब मुझे बहुत कठिन लगा। मैं तो बस दूसरी कक्षा तक ही पढ़ा हूं, सो कैसे होगा ये सब करता।लेकिन उन्होंने हौसला बढ़ाया। बार-बार समझाया कि अगर हम सही तरीके से काम करें, तो इससे हमारा भी भला होगा और गांव वालों का भी। मैंने भी ठान लिया कि अब सीखना है। धीरे-धीरे मैंने लिखना शुरू किया। अब छह महीने में 400 से ज़्यादा मरीजों का इलाज किया है, और सबका नाम, उम्र, बीमारी, फोन नंबर सब कुछ लिखकर रखा है।
साथ ही, मैंने दवाइयों को करीब 50-60 डिब्बों में सहेजकर रखा है, ताकि आसानी से मिल सकें। इसके साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर हमने गांव में गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली शासकीय योजनाएं गर्भावस्था के दौरान जांच एवं संस्थागत प्रसव के बारे में भी लोगों को प्रेरित किया है। इसके पूर्व गर्भवती माता को दी जाने वाली सेवाओं के बारे में हमारे ग्राम की आशा कार्यकर्ता सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी ने इसके संबंध में प्रशिक्षित किया था।अब मुझे लगता है कि ये काम तो मुझे बहुत पहले शुरू कर देना चाहिए था। अब मैं सिर्फ खुद ही नहीं कर रहा, बल्कि और जो परंपरागत वैद्य हैं, उन्हें भी समझा रहा हूं कि दवाइयों को सही तरीके से रखना और मरीजों का रिकॉर्ड बनाना कितना ज़रूरी है साथ ही इलाज के साथ-साथ हमें लोगों को शासकीय योजनाओं के बारे में भी जानकारी देना आवश्यक है खास करके जहां बात जब स्वास्थ्य की हो।