बिहार सरकार के महत्वाकांक्षी योजना स्ट्रीट सोलर लाइट में ब्रेडा कंपनी कर रहा है गड़बड़ झाला ग्राम पंचायत में स्ट्रीट सोलर लाइट के नाम पर बिहार सरकार के पैसा हो रहा है बंदरबाट।
ग्राम पंचायत के सभी कार्यों में गोलमाल है भाई गोलमाल है करगहर के 20 पंचायत के 160 वार्ड में लगी स्ट्रीट लाइट है खराब अधिकारी से लेकर ब्रेडा कंपनी के नुमांइदे हैं अनजान।
प्रखंड करगहर चल रहा है भगवान के भरोसे प्रदेश से लेकर जिले के अधिकारी यहां के व्यवस्थाओं से हैं अनजान।
(फणीन्द्र कुमार सिन्हा)
करगहर/रोहतास
बिहार सरकार के महत्वाकांक्षी योजना मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना पार्ट 2 के तहत प्रखंड के पंचायत में स्ट्रीट लाइट लगाकर चारों तरफ शहरों के तरह ग्राम पंचायत को भी रोशन करने की थी मंशा लेकिन हो रहा है सीधे इसके विपरीत कार्य आपको बता दे की जानकारी के अनुसार प्रखंड करगहर के 20 पंचायत के 160 वार्डों में स्ट्रीट लाइट लगाने का कार्य पूरा हो गया है लेकिन लगते ही इन स्ट्रीट लाइटों की बत्ती जलने बंद हो गई है इसको लेकर सरकार और मुखिया के बीच तल्खी बढ़ती भी जा रही है सभी मुखिया अपनी-अपनी पंचायत में खराब हो चुकी लाइटों को ठीक करने के मांग संबंधित अधिकारियों से कर रहे हैं लेकिन संबंधित अधिकारियों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है बल्कि संबंधित अधिकारी सभी मुखियाओं पर लाइट की राशि कंपनी के खाते में डालने के लिए दबाव दे रहे हैं वहीं मुखिया इस बात पर अड़े हैं कि जब तक के कंपनी खराब हो चुकी लाइटों को ठीक नहीं करती तब तक हम लोग लाइट की राशि संबंधित कंपनी को भुगतान नहीं करेंगे इस संबंध में बीपीआरओ सुमित चौधरी ने कहा कि पंचायत में सभी लिए 15वें नटाइट के माध्यम से लगाई गई है अब तक किसी मुखिया द्वारा इस बात का लिखित प्रतिवेदन नहीं दिया गया है कि उनकी पंचायत में किन-किन जगहों पर लाइट नहीं जल रही है अगर मुखिया लिखित प्रतिवेदन देंगे तो उसकी सूची बनाकर जिले के माध्यम से संबंधित एजेंसी को उपलब्ध कराई जाएगी उन्होंने कहा कि लाइट खराब होने की मिल रही शिकायत को देखते हुए एजेंसी की राशि की भुगतान नहीं की गई है इधर इस संबंध में मुखिया संघ अध्यक्ष अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि प्रखंड की सभी पंचायतें की मुखिया द्वारा इस संबंध में बीपीआरओ से शिकायत की जा चुकी है बावजूद इसके लाइट ठीक करवाने के बजाय उनके द्वारा पंचायती राज अधिनियम 18-5 के तहत सभी मुखियाओं पर कार्रवाई करते हुए पद मुक्त करने की धमकी दी जा रही है उन्होंने कहा कि पंचायती राज विभाग के अधिकारियों की इस बात की जानकारी नहीं है कि पंचायत की आम जनता लाइटों में हुई गड़बड़ के लिए मुखिया को ही जिम्मेदार मान रही है ऐसे में हम दूसरे की गड़बड़ी के चलते अपनी छवि को खराब नही करेंगे उन्होंने कहा कि स्ट्रीट लाइट लगाने वाली कंपनी एक बार भी मेंटेनेंस का कार्य नहीं किया इसकी शिकायत सभी 20 पंचायत के मुखियाओं ने बीपीआरओ और वीडियो से की गई है प्रखंड के सभी 20 ग्राम पंचायत के आठ आठ वार्डो में स्ट्रीट लाइट लगाई गई है एक वार्ड में 10 स्ट्रीट लाइट लगाई गई है कुल 1600 स्ट्रीट लाइट लगाई गई है ग्राम पंचायत के 160 वार्ड में स्ट्रीट लाइट लगाने का कार्य पूरा कर लिया गया है मुख्यमंत्री ग्राम सोलर स्ट्रीट लाइट योजना के क्रियान्वयन के लिए ब्रेडा कंपनी द्वारा संवेदक का चयन किया गया है सरकार के यह परिकल्पना थी कि इन स्ट्रीट लाइटों से गांव की गलियां रोशनी रहेगी और बिजली का भी बचत होगी पंचायत के एक वार्ड में 10 सोलर लाइट लगाने की तैयारी के तहत बचत के लिए सरकारी बिजली के पोलो का इस्तेमाल किया गया लाइट चयनित स्थान पर ही लगाई गई एक स्ट्रीट लाइट पर 31000 रुपए की राशि खर्च की गई है इस प्रकार 160 वार्डों में 49 लाख 60000 की राशि खर्च की गई है जिसमें निर्माण एजेंसी द्वारा स्ट्रीट लाइटों का मेंटेनेंस 5 वर्षों तक करना सुनिश्चित किया गया है।साथ ही साथ है ग्रामीण क्षेत्रों में जानने पर यह भी सुनने को मिलता है कि यह कैसी सरकार यह कैसी योजना की एक ही ग्राम पंचायत में 8 वार्ड में स्ट्रीट लगया जा रहा बाकी वार्ड को अंधेरे में रखा जा रहा हा कैसा है बिहार सरकार का नियम जनता के बीच यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है जवाब देने के लिए कोई अधिकारी या जनप्रतिनिधि नही है तैयार स्ट्रीट लाइट के कार्यों में ब्रेड कंपनी कर रहा है गड़बड़ झाला ऐसे तो देखा जाए तो ग्राम पंचायत के सभी कार्यो में गोलमाल है भाई गोलमाल करगहर प्रखंड के व्यवस्थाओं पर जिला से प्रदेश के अधिकारियों का कब जाएगा ध्यान यह तो समय ही बताएगा गड़बड़ झाला और गोलमाल का ताजा ताजा उदाहरण है लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत ग्राम पंचायत में बाटे गए ई रिक्शा जंग खा रहे है बहाली हुए सफाई कर्मी लेकिन सफाई के नाम पर व्यवस्था हैं जीरो जगह-जगह ग्राम पंचायत में लगे हैं कचरे की अंबर आखिरकार क्यों जब सफाई ही नहीं करानी थी बिहार सरकार को तो राशि को बदरबाट करने की थी क्या आवश्यकता आखिर कर जिले के अधिकारी कब इन सब मामलों को लेंगे संज्ञान में।